~ सबसे धनी वह नहीं है जिसके पास सब कुछ है, बल्कि वह है जिसकी आवश्यकताएं न्यूनतम हैं.~ साहस भय की अनुपस्थिति नहीं है. यह तो इस निर्णय तक पहुँचने का बोध है कि कुछ है जो भय से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. – एम्ब्रोस रेडमून~ जब मुझे भूख लगती है तो खा लेता हूँ और जब थक जाता हूँ तो लेट जाता हूँ. मूर्ख मुझपर हंस सकते हैं पर ज्ञानीजन मेरी बातों का अर्थ समझते हैं. – लिन-ची.~ जिस आदमी के पास सिर्फ हथौड़ा होता है उसे अपने सामने आने वाली हर चीज़ कील ही दीखती है. – अब्राहम मासलो.~ तीसरे दर्जे का दिमाग बहुमत के जैसी सोच रखने पर खुश होता है. दूसरे दर्जे का दिमाग अल्पमत के जैसी सोच रखने पर खुश होता है. और पहले दर्जे का दिमाग सिर्फ सोचने पर ही खुश हो जाता है. – ए ए मिलन~ अपने विचारों पर ध्यान दो, वे शब्द बन जाते हैं. अपने शब्दों पर ध्यान दो, वे क्रिया बन जाते हैं. अपनी क्रियाओं पर ध्यान दो, वे आदत बन जाती हैं. अपनी आदतों पर ध्यान दो, वे तुम्हारा चरित्र बनाती हैं. अपने चरित्र पर ध्यान दो, वह तुम्हारी नियति का निर्माण करता है. – लाओ-त्जु~ हम क्या सोचते हैं, क्या जानते हैं, और किसमें विश्वास करते हैं – अंततः ये बातें मायने नहीं रखतीं. हम क्या करते हैं वही महत्वपूर्ण है. – जॉन रस्किन~ सही राह पर होने के बाद भी यदि आप वहां बैठे ही रहेंगे तो कोई गाड़ी आपको कुचलकर चली जायेगी. – विल रोजर्स~ लोग अक्सर कहते हैं कि प्रेरक विचारों से कुछ नहीं होता. हाँ भाई, वैसे तो नहाने से भी कुछ नहीं होता, तभी तो हम इसे रोज़ करने की सलाह देते हैं! – ज़िग ज़िगलर~ विवाह करने से पहले मेरे पास बच्चों को पालने के छः सिद्धांत थे. अब मेरे पास छः बच्चे हैं पर सिद्धांत एक भी नहीं. – जॉन विल्मोट~ अपने शत्रुओं को सदैव क्षमा कर दो. वे और किसी बात से इससे ज्यादा नहीं चिढ़ते. – ऑस्कर वाइल्ड~ मैं सैकड़ों ज्योतिषियों और तांत्रिकों के यहाँ गया और उन्होंने मुझे हजारों बातें बताईं. पर उनमें से एक भी मुझे यह नहीं बता सका कि मैं एक पुलिसवाला हूँ जो उन्हें गिरफ्तार करने आया है – न्यूयॉर्क पुलिसमैन~ मेरा निराशावाद इतना सघन है कि मुझे निराशावादियों की मंशा पर भी संदेह होता है.~ कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इसलिए आत्महत्या नहीं करते क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग क्या कहेंगे!~ हम सभी रोज़ कुछ-न-कुछ सीखते हैं. और ज्यादातर हम यही सीखते हैं कि पिछले दिन हमने जो सीखा था वह गलत था. – बिल वौगेन~ लंबा पत्र लिखने के लिए माफी चाहता हूँ पर इसे छोटा करने के लिए मेरे पास समय नहीं था. – ब्लेज़ पास्कल~ किसी सूअर से कुश्ती मत करो. तुम दोनों गंदगी में लोटोगे पर इसमें मज़ा सिर्फ सूअर को ही आएगा. – केल यार्बोरो~ चूहादौड़ में अगर आप जीत भी जायेंगे तो भी चूहा ही तो कहलायेंगे! – लिली टॉमलिन
ABHISHEK KAMAL
Thursday, November 10, 2011
QUOTATIONS hindizen
Inspirational Story
एक बहुत धनी युवक रब्बाई के पास यह पूछने के लिए गया कि उसे अपने जीवन में क्या करना चाहिए. रब्बाई उसे कमरे की खिड़की तक ले गए और उससे पूछा:
“तुम्हें कांच के परे क्या दिख रहा है?”
“सड़क पर लोग आ-जा रहे हैं और एक बेचारा अँधा व्यक्ति भीख मांग रहा है”.
इसके बाद रब्बाई ने उसे एक बड़ा दर्पण दिखाया और पूछा:
“अब इस दर्पण में देखकर बताओ कि तुम क्या देखते हो”.
“इसमें मैं खुद को देख रहा हूँ”.
“ठीक है. दर्पण में तुम दूसरों को नहीं देख सकते. तुम जानते हो कि खिड़की में लगा कांच और यह दर्पण एक ही मूल पदार्थ से बने हैं.”
“तुम स्वयं की तुलना कांच के इन दोनों रूपों से करके देखो. जब यह साधारण है तो तुम्हें सभी दिखते हैं और उन्हें देखकर तुम्हारे भीतर करुणा जागती है. और जब इस कांच पर चांदी का लेप हो जाता है तो तुम केवल स्वयं को देखने लगते हो.”
“तुम्हारा जीवन भी तभी महत्वपूर्ण बनेगा जब तुम अपने आँखों पर लगी चांदी की परत को उतार दो. ऐसा करने के बाद ही तुम अपने लोगों को देख पाओगे और उनसे प्रेम कर सकोगे”.
यह यहूदी नीति-कथा पाउलो कोएलो के ब्लॉग से ली गयी है.