ABHISHEK KAMAL

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Sunday, June 13, 2021

साइमन


 तस्वीर:- वृहद हिमालय, 02.07.2017


कुछ कहानियाँ ऐसी होती है जो किसी भी समय आपके सामने प्रकट हो जाती है चाहे आप उसे काफी समय पहले ही क्यों ना सुने हों। 

बचपन में एक ऐसी ही एक कहानी थी जिसे मुझे बार-बार सुनना अच्छा लगता था। मैं उस कहानी को अपने पापा से बार-बार सुनता था। पता नहीं कितने महीनों तक एक-दो दिन बीच कर उसी कहानी को सुनाने की जिद करता था। वह थी लियो टॉलस्टॉय के द्वारा लिखी कहानी, “What Men Live By”। उस कहानी में साइमन नामक एक गरीब व्यक्ति रहता था, जो जूते बनाता था। वह एक झोपड़ी में अपने पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। जाड़े से बचने के लिए उसके पास एक ही कोट था और वो भी फटा हुआ जिसे वह दोनों पति-पत्नी बारी-बारी से पहनते थे। उनके पास खाने के लिए भी एक-दो दिन के ही राशन होते थे। एक दिन भारी बर्फबारी और ठंड के बीच साइमन पास के गाँव से लौट रहा था तो रास्ते में उसे एक ठंढ से बेहाल आदमी दिखाई दिया जो चर्च के कीनारे लेटा हुआ था, उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था। साइमन ने उसे अपना कोट दिया, और उसे अपना जूता पहनाया फिर उसे लेकर अपने घर आ गया। उसके घर में भोजन नहीं के बराबर था, फिर भी उसने उस भोजन को आपस में बाँट कर खाया। फिर उस व्यक्ति को साइमन ने काम सिखाया और अपने यहाँ रखा। कहानी लंबी है लेकिन साइमन का यह त्याग और मदद करने की इच्छा लोगों को हरेक सदी में प्रभावित और प्रेरित करती रहेगी। कहानी यह बताती है कि लोग किसी अन्य कारण से जीवित नहीं रहते बल्कि इसलिए जीवित रहते हैं कि उनके बीच में प्रेम होता है। 

वर्ष 2020 एवं 2021 कोरोना को लेकर लोगों को हमेशा याद रहेगा। शायद इस महामारी की कहानी लोग आने वाली पीढ़ी को सुनाएं। हर तरफ सन्नाटा था, सभी जगह अंधकारमय एवं दुखद वातावरण था । लोग एक दूसरे से दूरी बनाए हुए थे। ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी थे जो आगे आकर हर तरह से बीमारों एवं उनके परिजनों की मदद कर रहे थे। उस समय मदद की ये सुखद तस्वीरें और समाचार लोगों में हिम्मत का संचार करती थी। वह तस्वीरें लोगों में मानवता के प्रति विश्वास जगाती हुई दिखती थी। वह तस्वीरें उस भयावह माहौल में भी लोगों के मन से बीमारी की डर को दूर करने में सफल हुई।

वो तस्वीरें थी उनलोगों की जिन्होंने खुद अपना ऑक्सीजन सिलिन्डर अपने साथ वाले बीमार व्यक्ति को दिया और बारी-बारी से दोनों ने एक ही सिलिन्डर का उपयोग कर बीमारी से लड़े।  यह तस्वीर थी  उनलोगों की भी जिन्होंने संसाधनों के कमी के बावजूद, लोगों की यथासंभव मदद की। वो लोग भी प्रेरणास्रोत बने जो बिना किसी प्रचार और फोटो-ऑप के लोगों को भोजन, दवाएं और ऑक्सीजन पहुंचाते रहे। लोगों के निधन पर, लोगों ने अपने धर्म से अलग भी, अन्य धर्मों के लोगों का उनके धार्मिक रीति-रीवाजों से अंतिम संस्कार किया। एक-दूसरे की मदद में धर्म को आरे नहीं आने दिया। देश के हरेक क्षेत्र से ऐसी खबरें आती रही जिसमें लोगों ने सरकारी मदद का इंतजार किए बिना एक-दूसरे की जी-जान से मदद की।    

इस महामारी ने What Men Live By कहानी के संदेश को पुनः स्थापित कर दिया। जब हम अपने जीवन के दैनिक व्यवहार में इतने मगन हो जाते हैं, तो हमें बड़ी तस्वीर नहीं दिखाई देती है। हम अपने जरूरत की चीजों के पीछे भागने के क्रम में उस घोड़े के समान हो जाते हैं जिसे अपने आँखों के पास लगे चमड़े की पट्टी के कारण सिर्फ 30% का क्षेत्र ही दिखाई देता है। हमें अपने आस-पास और दूसरे लोगों की पीड़ा की परवाह नहीं रहती है।  हम उनकी उपेक्षा करते हैं,  जैसे कि वे हमारी समस्याएं नहीं हैं। हम यह महसूस नहीं करते हैं कि हमारी एक छोटी-सी मदद से किसी दूसरे व्यक्ति की जीवन की बड़ी समस्या हल हो सकती है।  हमें मनुष्य बनना चाहिए यद्यपि यह एक कठिन प्रक्रिया है। हमें जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और वह भी बिना किसी रिटर्न की उम्मीद के। हमें यह महत्वपूर्ण सत्य याद रखना चाहिए कि,  मनुष्य सिर्फ और सिर्फ प्रेम से जीते हैं, जो उनमें मौजूद है। हमने आपसी मदद का जो जज्बा कोरोना काल में दिखाया है, उसे हरसंभव जीवित रखना चाहिए।

हमें अपने अंदर के साइमन को जीवित रखना चाहिए, जो किसी जरुरतमन्द को देख कर भागे नहीं बल्कि रुक कर उसकी मदद करे